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हर बार मेरे यक़ी को,तोड़ा है तुमने, झूठी चादरों को ज

हर बार मेरे यक़ी को,तोड़ा है तुमने,
झूठी चादरों को जैसे, ओढ़ा है तुमने,
वज़ह देते हो ख़ुद, और करता हु मै सवाल,
देके बहाने मुझे, मोड़ा है तुमने.
"हरीश तन्हा"

©Harish Pandey
  #हरीशतन्हा