तुम्हारा दूर तक जाना पहुँचे बग़ैर ही लौट आना चलो कोई बात नहीं आँखों के किनारों तक भरी आँखों से बह जाना चलो कोई बात नहीं सालों से जी रहे ख्वाब में हकीक़त से मुकर जाना चलो कोई बात नहीं नाउम्मीदी से भर जाना फ़िर उम्मीद की लौ जलाना चलो कोई बात नहीं मेरा सावन सा नम होना तुम्हारा जेठ सा तप जाना चलो कोई बात नहीं मेरा हो के भी मेरा कहा जाना तेरा यूँ 'कश्मीर' हो जाना चलो कोई बात नहीं। ✍ प्रदीप 17 अगस्त 2019 चलो कोई बात नहीं