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कब कहां कवना शहर में रह ब तहरा पता बा का, कब कहां

कब कहां कवना शहर में रह ब तहरा पता बा का,
कब कहां केकरा नजर पे चढ़ ब तहरा पता बा का।

तहरा जिगर में के रही अभीए से सोंच के बैठल बा र,
तु कहां केकरा जिगर में रह ब तहरा पता बा का।

एगो ठोकर लाग ग‌ईल त, छोड़ दिहला राह ई,
कब कहां कवना डगर पे चल ब तहरा पता बा का।

ह ज़हर कहके भरल ई छोड़ दिहला जाम तू,
कब कहां कवना ज़हर से मर ब तहरा पता बा का।

इ सफ़र के वादा तोहार कि उहे बनिहे हमसफ़र,
कब कहां कवना सफ़र पे रह ब तहरा पता बा का।
✍️ प्रतिहार........ प्रतिहार
कब कहां कवना शहर में रह ब तहरा पता बा का,
कब कहां केकरा नजर पे चढ़ ब तहरा पता बा का।

तहरा जिगर में के रही अभीए से सोंच के बैठल बा र,
तु कहां केकरा जिगर में रह ब तहरा पता बा का।

एगो ठोकर लाग ग‌ईल त, छोड़ दिहला राह ई,
कब कहां कवना डगर पे चल ब तहरा पता बा का।

ह ज़हर कहके भरल ई छोड़ दिहला जाम तू,
कब कहां कवना ज़हर से मर ब तहरा पता बा का।

इ सफ़र के वादा तोहार कि उहे बनिहे हमसफ़र,
कब कहां कवना सफ़र पे रह ब तहरा पता बा का।
✍️ प्रतिहार........ प्रतिहार

प्रतिहार #कविता