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चल रहा हूं थाम के बाहें आकाश के धरती के सुरज की र

चल रहा हूं थाम के बाहें
आकाश के धरती के 
सुरज की रोशनी को माथे में लाके
आशा लेके मेहनत पे बरोसा हैं
कुछ पाही लुंगा 
ना रुकुगा जब तक मंजिल तक ना पोहचुगा। सुप्रभात।
करने को बहुत कुछ कर सकता है,
अकेला आदमी।
#अकेलाआदमी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
चल रहा हूं थाम के बाहें
आकाश के धरती के 
सुरज की रोशनी को माथे में लाके
आशा लेके मेहनत पे बरोसा हैं
कुछ पाही लुंगा 
ना रुकुगा जब तक मंजिल तक ना पोहचुगा। सुप्रभात।
करने को बहुत कुछ कर सकता है,
अकेला आदमी।
#अकेलाआदमी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
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atulwaghade1868

Atul Waghade

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