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Reena Bhardwaj thought अटल पर चला मैं अटल, प्रसन्

Reena Bhardwaj thought
 अटल पर चला मैं अटल, प्रसन्न चित्त कैसे होऊँ, 
गुमनाम की सी छाया में घुम, कल्याण सम कैसे  होऊँ,
 
अग्नि पथ चुनने वाला, जलन का भान क्यों समाऊँ,
दर्दों का आशियाना मेरा, तकलीफ से क्यों घबराऊँ, 

रावण एक दिन लील होगा, मैं तो यही सत्य अपनाऊँ, 
अग्निपथ घर मेरा,उसे ही गले लगाऊं, 

दर्द को पीना सीख जाऊँ, चहूँ ओर खुश्बू बिखेर पाऊँ, 

वही दिवाली, दशहरा, जिसमें राममय होकर राम में समाऊँ, 
जीह्वा से कृष्ण कृष्ण गाऊँ, 
वही तो इस धरा पर अपना, बाकी भ्रम, यह समझ कर्तव्य निभाऊँ, 

माँगने में आऊँ तो संम्पूर्ण धरा भी श्री राम से पाऊँ, 
पर मैं तो सबसे किमती, कर्तव्य की डोरी श्री राम से चाहूँ, 

आप सबके लिए दशहरे की बधाई गुनगुनाऊँ, 
रीना भारद्वाज Reena Bhardwaj thought

Reena Bhardwaj thought

#Dussehra2020
Reena Bhardwaj thought
 अटल पर चला मैं अटल, प्रसन्न चित्त कैसे होऊँ, 
गुमनाम की सी छाया में घुम, कल्याण सम कैसे  होऊँ,
 
अग्नि पथ चुनने वाला, जलन का भान क्यों समाऊँ,
दर्दों का आशियाना मेरा, तकलीफ से क्यों घबराऊँ, 

रावण एक दिन लील होगा, मैं तो यही सत्य अपनाऊँ, 
अग्निपथ घर मेरा,उसे ही गले लगाऊं, 

दर्द को पीना सीख जाऊँ, चहूँ ओर खुश्बू बिखेर पाऊँ, 

वही दिवाली, दशहरा, जिसमें राममय होकर राम में समाऊँ, 
जीह्वा से कृष्ण कृष्ण गाऊँ, 
वही तो इस धरा पर अपना, बाकी भ्रम, यह समझ कर्तव्य निभाऊँ, 

माँगने में आऊँ तो संम्पूर्ण धरा भी श्री राम से पाऊँ, 
पर मैं तो सबसे किमती, कर्तव्य की डोरी श्री राम से चाहूँ, 

आप सबके लिए दशहरे की बधाई गुनगुनाऊँ, 
रीना भारद्वाज Reena Bhardwaj thought

Reena Bhardwaj thought

#Dussehra2020
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