मेरी तक़दीर कुछ ऐसे सवँर जाए , मेरे मालिक तेरी रहमते नज़र मिल जाए कब तक दर ब दर भटकते रहे इस जहाँ में कर इशारा के नेकी का वो दरिया मिल जाए बाद मेरे भी मुझे कोई याद करें,तमन्ना हैं के जिन्दगी को एक ऐसा ज़रिया मिल जाए कब तक गमों का मातम मनाते रहे हम कर आजाद के जिन्दगी को दिशा मिल जाए कभी घुटने न टेकूँ वक्त और हालातों से मेरे अंदर एक आग एक चिगांरी जल जाए ।।। Long time 🖊️🖊️ ♥️ Challenge-654 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।