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तेरी शान में क्या नज़्म कहूँ अल्फाज नहीं मिलते, कुछ

तेरी शान में क्या नज़्म कहूँ अल्फाज नहीं मिलते,
कुछ गुलाब ऐसे भी है जो हर शाख पे नहीं खिलते !!
तेरी शान में क्या नज़्म कहूँ अल्फाज नहीं मिलते,
कुछ गुलाब ऐसे भी है जो हर शाख पे नहीं खिलते !!