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विदाई आज एक बेटी की देखकर विदाई, आँखें खुद -ब-खु

विदाई


आज एक बेटी की देखकर विदाई,
आँखें खुद -ब-खुद  भर आई,
रोती बिलखती अपने परिवार को छोड़कर,
जा रही थी अपने नये घर।

पिता की ओर बार-बार देखकर,
सिसकियाँ भर रही थी बार-बार,
माँ का दामन पकड़कर बोली,
माँ नहीं जाऊँगी तुम्हें छोड़कर

अपने भाई के पास जाकर बोली
अब से झगड़ा नहीं करूँगी, 
लिपट कर जोर  से रोने लगी,
और बोली अब तेरी शिकायत नहीं करूँगी,

वह सभी को रुलाती हुई जा रही थी,
सारे घर की खुशियाँ लिए जा रही थी,
फिर भी नयी आश लिए जा.रही थी,
नये घर मे नयी उम्मीद लिए जा रही थी।

जब उसकी गाड़ी घर से चली गई,
ऐसा लगा जैसे सारी खुशियाँ चली गई,
घर मे सन्नाटा सा फैल गया,
एक पल के लिए सारा लम्हा थम सा गया।।





लिपट कर जो र से रोने लगी,
और दोनों की 
अपने 
न #विदाई
विदाई


आज एक बेटी की देखकर विदाई,
आँखें खुद -ब-खुद  भर आई,
रोती बिलखती अपने परिवार को छोड़कर,
जा रही थी अपने नये घर।

पिता की ओर बार-बार देखकर,
सिसकियाँ भर रही थी बार-बार,
माँ का दामन पकड़कर बोली,
माँ नहीं जाऊँगी तुम्हें छोड़कर

अपने भाई के पास जाकर बोली
अब से झगड़ा नहीं करूँगी, 
लिपट कर जोर  से रोने लगी,
और बोली अब तेरी शिकायत नहीं करूँगी,

वह सभी को रुलाती हुई जा रही थी,
सारे घर की खुशियाँ लिए जा रही थी,
फिर भी नयी आश लिए जा.रही थी,
नये घर मे नयी उम्मीद लिए जा रही थी।

जब उसकी गाड़ी घर से चली गई,
ऐसा लगा जैसे सारी खुशियाँ चली गई,
घर मे सन्नाटा सा फैल गया,
एक पल के लिए सारा लम्हा थम सा गया।।





लिपट कर जो र से रोने लगी,
और दोनों की 
अपने 
न #विदाई