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क़लम का सूरज उगा है जबसे, भावनाओं का प्रसार हुआ। रु

क़लम का सूरज उगा है जबसे, भावनाओं का प्रसार हुआ।
रुकी नहीं अभिव्यक्ति कभी भी, हरदम ही स्वीकार हुआ।

लिखने को जब दिल ने चाहा, विधाएं कई मिलती गई।
कविता, मुक्तक, दोहा, सोरठा, रोला, छंद, अलंकार हुआ।

अभिव्यक्ति की आज़ादी हुई, ईश्वर का बड़ा उपकार हुआ।
उदित हुआ है जब ज्ञान का सूरज, नेक बहुत विचार हुआ। ♥️ Challenge-674 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ Happy Birthday YQ ♥️

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क़लम का सूरज उगा है जबसे, भावनाओं का प्रसार हुआ।
रुकी नहीं अभिव्यक्ति कभी भी, हरदम ही स्वीकार हुआ।

लिखने को जब दिल ने चाहा, विधाएं कई मिलती गई।
कविता, मुक्तक, दोहा, सोरठा, रोला, छंद, अलंकार हुआ।

अभिव्यक्ति की आज़ादी हुई, ईश्वर का बड़ा उपकार हुआ।
उदित हुआ है जब ज्ञान का सूरज, नेक बहुत विचार हुआ। ♥️ Challenge-674 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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