एक बूँद पानी की सुन कर रात भर जागी वह
एक गूंज आंधी की सुन कर दबे पांव भागी वह
फिर क्या सर्दी थी क्या गर्मी थी
राहों में भी कहाँ तो उसके नर्मी थी
दिए ज़ख्म और ज़ख्म दिए , काँटों ने उसके लहू पिए
हवा भी कुछ खूंखार बहे है बदन भी उसका हर वार सहे है
पलकों के नीचे खौफ भरे , गालों से पोछे अश्क बहे
बस वो चली चले हाँ चली चले #Poetry#Reality#Women#Raat#nojotohindi#Naari#Jaagi