लक्ष्मी थी या दुर्गा थी,वह स्वयं वीरता की अवतार। देख मराठे पुलकित होते,उसकी तलवारों की वार।। नकली युद्ध व्युह की रचना और खेलना खूब शिकार। दुर्ग घेरना,व्युह तोङना,यह थे उसके प्रिय खिलवाङ।। महा राष्ट्र कुलदेवी उसकी आराध्य देवी थी।। बुंदे,बुंदेलो हरबोलो के मुख से सुनी कहानी थी।। खूब लङी मर्दानी वो तो झॉसी वाली रानी थी।। ©Deoprakash Arya झॉसी वाली रानी ।