ज़रूरत नहीं रोशनी की जब दिल में चिराग़ जलते हैं आर बुटे भी कहीं ऐसे न देखे होंगे बिना बारिश के मेरे आँगन में जो फलते हैं क्या बहारों का वुजूद है मौसम के आगे यहाँ तो काँटों मे भी फुल खिलते हैं उधार की रोनकें खरीदने की मुझे आदत नहीं इसी लिये शहर की भीड़ में कम निकलते हैं 'दीप'..✍️शायर तेरा🌷 ©Dalip Kumar Deep 🍂🍁मुझे उधार की रौनकें खरीदने की आदत नहीं🍂🍁