हर ले हरि तू मेरा *मैं *मैं का बोझ बड़ा दुखदायी, संचित करती आई अब तक *मैं की गठरी हो गयी भारी, अब आयी हूँ शरण तिहारे हर ले हरि तू मेरा *मैं ।। सुन लो हरि. . .