थक सा गया हूँ चलते चलते अब थोड़ा सा ठहराव चाहता हूँ, ज़िन्दगी की तपती धूप में सुकून की छाव चाहता हूँ, रिश्तों की इस भीड़ में एक रिश्ता खास चाहता हूँ, ना जाने कितने लम्हें है इस ज़िन्दगी में कुछ लम्हे अपनी मर्जी से जीना चाहता हूँ। ©harshit #बेपरवाह