अद्भुद वो कृष्ण लीला, बात विशेष बता गयी। बीच रह कर समाज से, अलग रहना सिखा गयी। देख सलोनी सुँदर आँखें, जग हृदय लुभा गयी। धुन बाँसुरी की निश्छल, प्रेम करना सीखा गयी। द्वार आये मीत्र सुदामा, कि नैया पार लगी। चरण धोती नयनों की धारा, "मीत्र" अर्थ बता गयी। मुख से बरसी अमृत सी गीता, जीवन राह नीखार गयी। अर्जुन सुने रण में वाणी, संजय को भी तार गयी। अद्भुद वो कृषण लीला, बात विशेष बता गयी। बीच रह कर समाज से, अलग रहना सिखा गयी। अलग रहना सिखा गयी......! राधे राधे.........! ©Ek tannha shayar #कृष्ण_लीला #My_filings_my_words #एक_तन्हा_शायर Ankit verma 'utkarsh' बाबा ब्राऊनबियर्ड