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क्या कुछ न था तू मेरे लिए शायद मैं कुछ भी नही तेरे

क्या कुछ न था तू मेरे लिए
शायद मैं कुछ भी नही तेरे लिए

बिखरी सांसों का टूटा ख्वाब कोई
आवारा हो गया गुजरी यादों के अंधेरे लिए

सिसकते सन्नाटे में रात जरा थम के गुजर
हम रोते रहे वो न आया मेरे सवेरे लिए

मुझको दिलासा ये की मैं ही नही
कई दीवाने खामोश है जख्म गहरे लिए

जिंदगी के गुलशन से धड़कन चुनती रही
हर सांस गवारा की दिल ने सिर्फ तेरे लिए

वो उदास हो जाते थे कभी दीदार के बिना
अब एक शिकन भी नही चेहरे पे मेरे लिए

©Ankur Mishra क्या कुछ न था तू मेरे लिए
शायद मैं कुछ भी नही तेरे लिए

बिखरी सांसों का टूटा ख्वाब कोई
आवारा हो गया गुजरी यादों के अंधेरे लिए

सिसकते सन्नाटे में रात जरा थम के गुजर
हम रोते रहे वो न आया मेरे सवेरे लिए
क्या कुछ न था तू मेरे लिए
शायद मैं कुछ भी नही तेरे लिए

बिखरी सांसों का टूटा ख्वाब कोई
आवारा हो गया गुजरी यादों के अंधेरे लिए

सिसकते सन्नाटे में रात जरा थम के गुजर
हम रोते रहे वो न आया मेरे सवेरे लिए

मुझको दिलासा ये की मैं ही नही
कई दीवाने खामोश है जख्म गहरे लिए

जिंदगी के गुलशन से धड़कन चुनती रही
हर सांस गवारा की दिल ने सिर्फ तेरे लिए

वो उदास हो जाते थे कभी दीदार के बिना
अब एक शिकन भी नही चेहरे पे मेरे लिए

©Ankur Mishra क्या कुछ न था तू मेरे लिए
शायद मैं कुछ भी नही तेरे लिए

बिखरी सांसों का टूटा ख्वाब कोई
आवारा हो गया गुजरी यादों के अंधेरे लिए

सिसकते सन्नाटे में रात जरा थम के गुजर
हम रोते रहे वो न आया मेरे सवेरे लिए