फिर मिले उर्वरा दो नयन नेहमय फिर खिले वर्णभा नव सपन गेह में फिर जगे केशरी-केशरी से जतन फिर ऋतु की विकलता जगी देह में फिर पिपासा हृदय की लगी कूकने फिर दिशाएँ सुपथ सी लगीं खोलने फिर झुके दो नयन जैसे स्वीकार में फिर झुका आसमाँ धरती के प्यार में फिर खिला रंग वासंती संसार में फिर प्रभा गा उठी गीत नवरंगमय #toyou #yqspring #yqdreams #yqlove #yqeyes #yqsilence #yqglee