रातों में भी अब वो सुकून कहाँ, आँखो में अब वो बचपन की निन्द कहाँ । और बहुत कुछ बदला है हमने जवानी में आकर , क्यूकी जिम्मेदारीयों से भागने का अब वक्त कहाँ। #जिम्मेदारी_और_हम