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ऐ दुनियावालों.. कबतक नुक्स निकालकर राह मेरी अवरुद

ऐ दुनियावालों..

कबतक नुक्स निकालकर
राह मेरी अवरुद्ध करोगे
ऐ दुनियावालों कह देती हूँ
एक ना एक दिन तुम ही हारोगे

उदात्त है विचार मेरे
स्वार्थ कभी आया ही नही
निःस्वार्थ भाव से कर्म मेरे
खुदके लिए कभी जिया ही नही
आसमां के सूरज की
तपन तुम क्या जानोगे
ऐ दुनियावालों कह देती हूँ
एक ना एक दिन तुम ही हारोगे

भला ,बूरा मैं ना जानू
इन्सानियत की राह मानू
सीना ठोककर वक्त का
वक्त को ही मैं बदलना जानू
भीतर छिपे निरव सुख को
कभी आंक नही पाओगे
ऐ दुनियावालों कह देती हूँ
तुम मुझे कतई नही जान पाओगे.....

मी माझी.....

©Sangeeta Kalbhor #desert ऐ दुनियावालों..

कबतक नुक्स निकालकर
राह मेरी अवरुद्ध करोगे
ऐ दुनियावालों कह देती हूँ
एक ना एक दिन तुम ही हारोगे

उदात्त है विचार मेरे
ऐ दुनियावालों..

कबतक नुक्स निकालकर
राह मेरी अवरुद्ध करोगे
ऐ दुनियावालों कह देती हूँ
एक ना एक दिन तुम ही हारोगे

उदात्त है विचार मेरे
स्वार्थ कभी आया ही नही
निःस्वार्थ भाव से कर्म मेरे
खुदके लिए कभी जिया ही नही
आसमां के सूरज की
तपन तुम क्या जानोगे
ऐ दुनियावालों कह देती हूँ
एक ना एक दिन तुम ही हारोगे

भला ,बूरा मैं ना जानू
इन्सानियत की राह मानू
सीना ठोककर वक्त का
वक्त को ही मैं बदलना जानू
भीतर छिपे निरव सुख को
कभी आंक नही पाओगे
ऐ दुनियावालों कह देती हूँ
तुम मुझे कतई नही जान पाओगे.....

मी माझी.....

©Sangeeta Kalbhor #desert ऐ दुनियावालों..

कबतक नुक्स निकालकर
राह मेरी अवरुद्ध करोगे
ऐ दुनियावालों कह देती हूँ
एक ना एक दिन तुम ही हारोगे

उदात्त है विचार मेरे