Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो पंछी (part -1) वो पंछी जो पिंजरे में बंद है

वो पंछी (part -1)

वो पंछी जो पिंजरे में बंद है 
 इस गुलामी से निकलना चाहता है 

By :-Akshita jangid 
  (poetess) वो पंछी जो पिंजरे में बंद है 
 इस गुलामी से निकलना चाहता है 
वो भी बाहर की सुन्दर दुनिया को देखना चाहता है 
  अपने हिसाब से जीना चाहता है,
 अपने में ही विचरण करना चाहता है |

लेकिन,  काफ़ी हद तक उसको उस पिंजर से प्यार भी होता है 
  उसको उसकी आदत सी हो जाती हैं
वो पंछी (part -1)

वो पंछी जो पिंजरे में बंद है 
 इस गुलामी से निकलना चाहता है 

By :-Akshita jangid 
  (poetess) वो पंछी जो पिंजरे में बंद है 
 इस गुलामी से निकलना चाहता है 
वो भी बाहर की सुन्दर दुनिया को देखना चाहता है 
  अपने हिसाब से जीना चाहता है,
 अपने में ही विचरण करना चाहता है |

लेकिन,  काफ़ी हद तक उसको उस पिंजर से प्यार भी होता है 
  उसको उसकी आदत सी हो जाती हैं

वो पंछी जो पिंजरे में बंद है इस गुलामी से निकलना चाहता है वो भी बाहर की सुन्दर दुनिया को देखना चाहता है अपने हिसाब से जीना चाहता है, अपने में ही विचरण करना चाहता है | लेकिन, काफ़ी हद तक उसको उस पिंजर से प्यार भी होता है उसको उसकी आदत सी हो जाती हैं #Poetry