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मेरा जिस्म उसके हिज़्र में सुलगता ही रहा वो मुझे त

मेरा जिस्म उसके हिज़्र में सुलगता ही रहा
वो मुझे ता उम्र भटकाती रही और मैं भटकता ही रहा।।

©Rishabh Singh
  सहारा

सहारा #Shayari

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