पत्तियों पर पानी की कुछ ठहरी हुई बूंदें कितनी अच्छी प्रतीत होती हैं, जब सूरज की रौशनी उन बूंदों पर पड़ती है और हम एकटक उसमें अपनी परछाई निहार रहे हों ! ©Khwaab pattiyan a poetry ( para 3 ) #Walk