तुम अनंत, सर्वज्ञ हो, मैं अजान, अनभिज्ञ, कण -कण में तुम हो व्याप्त, तुम ही आदि औ 'अंत, तुम अक्षर, मैं हूँ नश्वर, मैं निःशब्द, तुम शब्द || सुधि मेरी भी कर हे ईश्वर ! रहूँ सदा मैं कृतज्ञ | तुम सागर, मैं क्षुद्र नदी बहती इधर -उधर, तुम हो धीर -गंभीर प्रभु ! मैं उद्वेलित लहर, शांत करो मन को मेरे भी, सुन हे अजर, अमर !..... ."स्मृति ".. #nojoto #सुधि मेरी भी कर, हे ईश्वर !