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गंगा-सागर सा संगम तुम, धरती चंदा सा बंधन तुम;

गंगा-सागर   सा  संगम तुम, धरती  चंदा सा बंधन तुम;
तुम  सुंदर  हो  राधा जैसी ,  मीरा  के जैसी जोगन तुम।

तुम दो प्रेमी की सांसे हो,   युगलों का पहला सावन तुम;
तुम राते हो सिंदूरी वाली, पायल कंगन की खनखन तुम।

तुम हठ योगी की सिद्धी हो, जोगी की सारी दुनियां तुम;
तुम बरसाने की लगती हो,   ग्वाला सा मैं रहता गुमसुम।

बिछड़े जब भी मुड़कर देखो,   मैने देखा उलझन सी है;
मैं  छोटे  कस्बे का लड़का,   वो दिल्ली वाली लड़की हैं।
पर मुझको अच्छी लगती है ।।१४।।

¢ रामवीर गंगवार








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©Ramveer Gangwar #ramveergangwar #ramveersinghgangwar 
#Love
गंगा-सागर   सा  संगम तुम, धरती  चंदा सा बंधन तुम;
तुम  सुंदर  हो  राधा जैसी ,  मीरा  के जैसी जोगन तुम।

तुम दो प्रेमी की सांसे हो,   युगलों का पहला सावन तुम;
तुम राते हो सिंदूरी वाली, पायल कंगन की खनखन तुम।

तुम हठ योगी की सिद्धी हो, जोगी की सारी दुनियां तुम;
तुम बरसाने की लगती हो,   ग्वाला सा मैं रहता गुमसुम।

बिछड़े जब भी मुड़कर देखो,   मैने देखा उलझन सी है;
मैं  छोटे  कस्बे का लड़का,   वो दिल्ली वाली लड़की हैं।
पर मुझको अच्छी लगती है ।।१४।।

¢ रामवीर गंगवार








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