झूठे प्यार की उम्मीदों पे कोई कब तक जागे .. बिना डोर के पग डंडी पे कोई कब तक भागे ... हुआ नहीं जो अब तक अपना, क्या होगा बो आगे..? हार मान ली है किस्मत से, हम हैं ही करम अभागे.. . कोई कब तक जागे