बेकाबू 18/05/2020 हालात किस कदर बेकाबू हुए,यह तस्वीरें बोल रही है, प्रशासनिक अव्यवस्थाओं की पूरी पोल खोल रही है। वक्त के मारें अभागों की काया परेशानियां झेल रही है, लाचारों की तकलीफों को खामोशियां बयां कर रही है। सर पर बच्चो का व जरूरत के समान के बोझ लिए है, हालातो ने मजदूरों को जख्मों में भी कई जख्म दिए है। भूखे प्यासे गांव के लिए निरंतर दुरूह सफ़र कर रहे है, दुर्गम राहों में शारीरिक पीड़ा वेदना से आहें भर रहे है। तपती सड़कों पर इंसानियत नगें पैरों घायल हो रही है, तमाशबीन नेता नुमाइंदे देखके साहस,कायल हो रहे है सड़कों पे भी अजीब गरीब घटना दुर्घटनाएं घट रही है, सड़के पटरियां मासूमों के ख़ून से लहूलुहान हो रही है। सफर में मजदूरों के मौत के सिलसिले थम नही रहे है, भटकते सफर में न जाने क्यों ठिकाने मिल नही रहे है। कुछ को हुए गांवों के दीदार ,कुछ के किरदार बाकी है, झेली व झेल रहे मुसीबतें इसका सारा जहान साखी है। JP lodhi #बेकाबू हालात