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यदि मैं अंधा होता ना इंसानों को देख पाता ना ही उन

यदि मैं अंधा होता
ना इंसानों को देख पाता
ना ही उन मुखौटों को
जिसे वो हर रोज बदलता है यदि मैं अंधा होता
ना इंसानों को देख पाता
ना ही उन मुखौटों को
जिसे वो हर रोज बदलता है
#blind
यदि मैं अंधा होता
ना इंसानों को देख पाता
ना ही उन मुखौटों को
जिसे वो हर रोज बदलता है यदि मैं अंधा होता
ना इंसानों को देख पाता
ना ही उन मुखौटों को
जिसे वो हर रोज बदलता है
#blind

यदि मैं अंधा होता ना इंसानों को देख पाता ना ही उन मुखौटों को जिसे वो हर रोज बदलता है #blind #Poetry