Jindagi मैं सबके लिए एक खुली किताब हूं कोई जी रहा है मुझको तू किसी के लिए बस ख्वाब हूं कोई मुझे पाने के लिए दिन-रात लड़ रहा है कोई मुझसे दूर जाने के लिए मौत की ओर बढ़ रहा हैं कोई मुझमें जन्नत को देखता है कोई मुझे बोझ समझकर आत्महत्या कर मुझे खुद से दूर फेकता है जो मुझ में जैसा देखेगा मैं भी वैसी ही हूं क्योंकि मैं कुछ और नहीं तुम्हारा दर्पण जनाब हूं मैं सबके लिए एक खुली किताब हूं -vinita Mirror of words #Book jindagi