सरकार कोई किसी का बन गया है भक्त,कोई किसी का विरोधी असली मुददे से सब भटके है,गरीब तो मांगे बस रोटी कोई कहता है झाड़ू अपनाओ,कोई कहता है फूल लालटेन,हाथ कतार में है सब,बनाते रोज जनता को मूर्ख लड़ा रहे लोगो को नाम ये लेकर,कभी हिन्दू कभी मुसलमान और खुद साथ में बैठकर करते,दावत,नाच और गान कितने का घर का जलता न चूल्हा,पर जला रहे है देश कभी साधु कभी मौलवी,न जाने कितने इनके है भेष कभी ईद है कभी दिवाली,कभी होली कभी रमजान अपने देश की यही खूबसूरती,जो पहचाने वही है सच्चा इंसान ©विजय #सरकार BAZM-E-SHAYARI/बज़्म-ए-शायरी