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फसल अनुभव का सींचते सींचते सर पर जिम्मेदारीयो का ग

फसल अनुभव का सींचते सींचते
सर पर जिम्मेदारीयो का गट्ठर ले बैठा
थोड़ा मन मस्तिष्क का किया क्या विस्तार
जिम्मेदरियो ने मौका देख कर लिया
अपने अधिकार क्षेत्र का तेजी से प्रसार।

चित-तंत्र का कर डाला इतना मंथन     
बन गया जिम्मेदारियों के विष का प्याला
वर्तमान है रूठा-रूठा, बेचारा चित 
अतीत की स्मृति व भविष्य के कल्पना
के कड़वे घुट का ले रहा है निवाला।

क्या बताऊँ वक्त की आततायी दास्तां
आजादी के दरख़्त भी अब सूखने लगे
बंजर रेगिस्तान सी ज़िन्दगी में उलझा
जिम्मेदारियों की दाह मे तपा जा रहा हूँ
बचपन के वृत्तान्त दृग को है चुभने लगे।

जिम्मेदारियों का लगा आघात इस कदर
आहलाद का जीवन-वलय सिमट गया
बंजर खेत में आब का नामो-निशां नही
बादलो की भी इसकी कोई भनक नही
जीवन के इस अंकटमयी पथ पर लटक गया।

            ~आशुतोष यादव #जिम्मेदारियों_की_गम्भीरता #जिम्मेदारी_में_दबा #जिम्मेदारी_का_वक़्त 

#wait  Ramjeet Sharma(Mr. Wow🙈😍) Anshula Thakur Prashant Kumar Tiwari sheetal pandya मेरे शब्द deepti😊
फसल अनुभव का सींचते सींचते
सर पर जिम्मेदारीयो का गट्ठर ले बैठा
थोड़ा मन मस्तिष्क का किया क्या विस्तार
जिम्मेदरियो ने मौका देख कर लिया
अपने अधिकार क्षेत्र का तेजी से प्रसार।

चित-तंत्र का कर डाला इतना मंथन     
बन गया जिम्मेदारियों के विष का प्याला
वर्तमान है रूठा-रूठा, बेचारा चित 
अतीत की स्मृति व भविष्य के कल्पना
के कड़वे घुट का ले रहा है निवाला।

क्या बताऊँ वक्त की आततायी दास्तां
आजादी के दरख़्त भी अब सूखने लगे
बंजर रेगिस्तान सी ज़िन्दगी में उलझा
जिम्मेदारियों की दाह मे तपा जा रहा हूँ
बचपन के वृत्तान्त दृग को है चुभने लगे।

जिम्मेदारियों का लगा आघात इस कदर
आहलाद का जीवन-वलय सिमट गया
बंजर खेत में आब का नामो-निशां नही
बादलो की भी इसकी कोई भनक नही
जीवन के इस अंकटमयी पथ पर लटक गया।

            ~आशुतोष यादव #जिम्मेदारियों_की_गम्भीरता #जिम्मेदारी_में_दबा #जिम्मेदारी_का_वक़्त 

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