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सुबह उठकर बिखरे से बालों में तकिये से दबे गालों म

सुबह उठकर 
बिखरे से बालों में
तकिये से दबे गालों में
चुपचाप से होठों में
अध-खुली आँखों में
बिन ब्रश किये दाँतों में
बिन मिलावट वाली साँसों में
बिन पानी लगे चेहरे में
टूटती अंगडाइयों के घेरे में
जैसी लगती हो ना तुम

मुझे ठीक वैसी ही 
पसंद हो तुम

दिन भर तुम्हें और तुम्हारे नखरों को
इस एक नज़ारे के लिये ही तो
झेलता रहता हूँ मैं

मुझे 'पगली' ही पसंद हो तुम
यूँ ही नहीं तुम्हें 'पगली' कहता रहता हूँ मैं #Love #foru #suraj #SS #Mng
सुबह उठकर 
बिखरे से बालों में
तकिये से दबे गालों में
चुपचाप से होठों में
अध-खुली आँखों में
बिन ब्रश किये दाँतों में
बिन मिलावट वाली साँसों में
बिन पानी लगे चेहरे में
टूटती अंगडाइयों के घेरे में
जैसी लगती हो ना तुम

मुझे ठीक वैसी ही 
पसंद हो तुम

दिन भर तुम्हें और तुम्हारे नखरों को
इस एक नज़ारे के लिये ही तो
झेलता रहता हूँ मैं

मुझे 'पगली' ही पसंद हो तुम
यूँ ही नहीं तुम्हें 'पगली' कहता रहता हूँ मैं #Love #foru #suraj #SS #Mng