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बजता रहा नाम का डंका ! चमक रही सोने की लंका ! पल म

बजता रहा नाम का डंका !
चमक रही सोने की लंका !
पल मे भरता ऊँची उड़ान !
काम ना आया पुष्पक यान !!

सर्व ज्ञानी, सर्व शक्तिमान !
दशानन होने का अभिमान!
किया काल को भी भयभीत!
पुत्र स्वयं जिसका इंद्र जीत !!

काम ना आया अमृत कुंड !
रण मे बिछे थे कुल के मुंड !
विश्व विजेता बने हैं लाश !
 बुराई का होता है नाश  !!

            स्वरचित 
       ✍️ *ॐ प्रकाश सहारे*

©Omprakash Sahare
  होता है बुराई का नाश

होता है बुराई का नाश #कविता

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