चाय और चौपाल एक कप की चार चुस्की सबके मन तृप्त अब हर हाथ में कप फ़िर भी मन अतृप्त । ( खाली होती चौपालों ने मन भी खाली कर दिए) #नक़ाब ओढ़ रिश्ते नहीं निभते.