"हम घर जाना चाहते हैं" कितनी बड़ी दुनिया है पर सब कुछ जैसे सपना है जब इतना सब है यहाँ तो ये सब सच होना ही वाजिब है गर सच कुछ भी नहीं है तो हम यहाँ क्यूँ हैं हम घर जाना चाहते हैं ना जाने वो किस दिशा में है इसी को सब हक़ीक़त कहते हैं पर हम जानते हैं, ये 'घर' नहीं है कोई मानता है कोई नहीं पर हक़ीक़त हक़ीक़त रहेगी बस यही की ये 'घर' नहीं है हम घर जाना चाहते हैं बस, हम घर जाना चाहते हैं घर कहाँ है?