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बाल्य काल के बचपन की वलारियां झूमे और नाचे गाएं ।

बाल्य काल के बचपन की वलारियां झूमे और नाचे गाएं ।
उनके होठों की नन्ही चौखट पे खेल दिखाएं कविताएं ।
पन्नों पे लिखे शब्दों से अलंकृत रहें सर्वदा उनकी हथेली ।
हंसते और गाते वो हल करलेंगे अपने भविष्य की पहेली ।
सौम्य सुजल उनके लोचन में निरंतर व्याप्त आनंद रहे ।
उनकी रातों को रौशन करने हमेशा प्रयासरत चांद रहे ।

©Vivek
  #बालदिवस