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चाँद का टुकड़ा कह दूँ तुम्हें हुस्न ओ ताज इज़ाज़त दे

चाँद का टुकड़ा कह दूँ तुम्हें हुस्न ओ ताज इज़ाज़त दे दो।
जी लूँ जी भर के मैं पूरी रात इज़ाज़त दे दो।।

दिल की प्यास बुझ गयी तुम्हारे धड़कन से,
बुझा लूँ आँखों की भी प्यास इज़ाज़त दे दो।

ये आँखें हैं तुम्हारी के छलकते हुए पैमाने,
पी जाऊँ सारा मयखाना आज इज़ाज़त दे दो।

खुली जुल्फों की घटा में है चाँद का टुकड़ा,
हो जाये ईद देख कर ये चाँद इज़ाज़त दे दो।

(पूरी ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें) कह दूँ तुम्हें हुस्न ओ ताज इज़ाज़त दे दो।
जी लूँ जी भर के मैं पूरी रात इज़ाज़त दे दो।।

दिल की प्यास बुझ गयी तुम्हारे धड़कन से,
बुझा लूँ आँखों की भी प्यास इज़ाज़त दे दो।

ये आँखें हैं तुम्हारी के छलकते हुए पैमाने,
पी जाऊँ सारा मयखाना आज इज़ाज़त दे दो।
चाँद का टुकड़ा कह दूँ तुम्हें हुस्न ओ ताज इज़ाज़त दे दो।
जी लूँ जी भर के मैं पूरी रात इज़ाज़त दे दो।।

दिल की प्यास बुझ गयी तुम्हारे धड़कन से,
बुझा लूँ आँखों की भी प्यास इज़ाज़त दे दो।

ये आँखें हैं तुम्हारी के छलकते हुए पैमाने,
पी जाऊँ सारा मयखाना आज इज़ाज़त दे दो।

खुली जुल्फों की घटा में है चाँद का टुकड़ा,
हो जाये ईद देख कर ये चाँद इज़ाज़त दे दो।

(पूरी ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें) कह दूँ तुम्हें हुस्न ओ ताज इज़ाज़त दे दो।
जी लूँ जी भर के मैं पूरी रात इज़ाज़त दे दो।।

दिल की प्यास बुझ गयी तुम्हारे धड़कन से,
बुझा लूँ आँखों की भी प्यास इज़ाज़त दे दो।

ये आँखें हैं तुम्हारी के छलकते हुए पैमाने,
पी जाऊँ सारा मयखाना आज इज़ाज़त दे दो।
nojotouser9836785518

तेजस

New Creator

कह दूँ तुम्हें हुस्न ओ ताज इज़ाज़त दे दो। जी लूँ जी भर के मैं पूरी रात इज़ाज़त दे दो।। दिल की प्यास बुझ गयी तुम्हारे धड़कन से, बुझा लूँ आँखों की भी प्यास इज़ाज़त दे दो। ये आँखें हैं तुम्हारी के छलकते हुए पैमाने, पी जाऊँ सारा मयखाना आज इज़ाज़त दे दो।