"नर्तक सहपाठी" (Read in the caption) "नर्तक सहपाठी" 12वीं कक्षा वो कक्षा होती है जिसके पूरे होते ही यादों का पिटारा बांध हम स्कूल से अलविदा कहते हैं। दोबारा वही दोस्तों के साथ मस्ती करने का मन होता है, लेकिन वो समय वापस आ सके ये तो संभव ही नहीं है क्लास में मेरी दो तीन लड़कों से कुछ ज्यादा ही लड़ाई होती थी, ये राहुल, देवेश और प्रशांत थे। राहुल कभी कभी कुछ ज्यादा ही मस्ती के मूड़ में रहता तो कभी गंभीरता से पढ़ाई करता था... देवेश वैसे तो सबसे ज्यादा ही बहस करता था लेकिन chemistry के लेक्चर में सर के सामने वो बड़ा ही शरीफ बन जाता था.... और ये तीसरा है प्रशान्त, नाम तो था प्रशान्त लेकिन था बड़ा ही अशांत 😂😂 लड़ना और अपनी बात रखते समय जोरों से चिल्लाना ये इसका स्वभाव था.... कहानी शुरू होती है इस महान इंसान से, मेरा एक सहपाठी "राहुल" जिससे इन दिनों मेरी कुछ ज्यादा ही लड़ाई चल रही थी, और ये लडाई अच्छी वाली ही होती थी, थप्पड़, मुक्के और पेपर बोर्ड के साथ, उसने मेरा प्लास्टिक का पेपर बोर्ड तक तोड़ा हुआ था, लेकिन ये मज़ाक वाली लड़ाई ही होती थी, बढ़िया वाली मारपीट करते, एक दूसरे के साथ बहस करते और फिर वही हंसते हुए साथ गप्पें भी मारते थे।