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White रोटी दो जून की, दाल चार जून की, रोटी दो जून

White रोटी दो जून की,
दाल चार जून की,
रोटी दो जून की नहीं मिली है, नहीं मिलेगी,
दाल चार जून की नहीं गलेगी, नहीं गलेगी ।
जनता जनार्दन दो धड़ों में बंटे सर -धड़ ,
राहु -केतु , ढइया -साढ़ेसाती , शिखर -जड़ ,
सिंहासन बत्तीसी, बेताल पचीसी,
अबतक की कथा कहां तक,कबतक बाकी चलेगी?
जनमत से जनमत हारे , जीते, बराबर,
हार,जीत, कुबूल करे, झुका हो उभय सर,
पर दिखता प्रतिशोध रहा है,शोध क्यूं गतिविधि लेगी?

©BANDHETIYA OFFICIAL
  #सुधार होना चाहिए।

#सुधार होना चाहिए। #चुनाव

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