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दिन तो जैसे तैसे बीत जाता है काम की भागा दौड़ी में

दिन तो जैसे तैसे बीत जाता है काम की भागा दौड़ी में
पर  हर शाम को तू जरूर याद आती है,,
तू कहा होगी?, क्या कर रही होगी?,कैसी होगी?,
ये सोचते ही दिल मैं तुम्हारी तस्वीर उभर आती है,
बस थोड़ा मुस्कुरा लेता हु तुम्हे हसता देख कर
 पूरे दिन मैं बस एक बार मेरे चेहरे पर मुस्कान आती है,
फिर खुलता है स्वप्न दरवाज़ा और सोचता हु आंखे बंध कर
फिर तुम्हारी याद कविताओं के स्वरूप में उभर आती है
जब भी अहसास होता है की नही हो तुम अब मेरे पास
 शुष्क पड़ी इन आंखो मे आंसुओ कि दो बूंदे छलक आती है,
पोहच ही जाती है मेरी कविताएं तुम्हारे पास फ़रमान लिए
मगर इतने इंतज़ार और फ़रमान के बाद भी तू कहा आती है,
खैर यही हमारी क़िस्मत में लिखा होगा शायद तभी तो
तू मुझे मिले ये बात ऊपर वाले को कहा राज़ आती है,,

©A P #alone
#मैं_और_तुम 
#तुम्हारी_बातें

#Journey
दिन तो जैसे तैसे बीत जाता है काम की भागा दौड़ी में
पर  हर शाम को तू जरूर याद आती है,,
तू कहा होगी?, क्या कर रही होगी?,कैसी होगी?,
ये सोचते ही दिल मैं तुम्हारी तस्वीर उभर आती है,
बस थोड़ा मुस्कुरा लेता हु तुम्हे हसता देख कर
 पूरे दिन मैं बस एक बार मेरे चेहरे पर मुस्कान आती है,
फिर खुलता है स्वप्न दरवाज़ा और सोचता हु आंखे बंध कर
फिर तुम्हारी याद कविताओं के स्वरूप में उभर आती है
जब भी अहसास होता है की नही हो तुम अब मेरे पास
 शुष्क पड़ी इन आंखो मे आंसुओ कि दो बूंदे छलक आती है,
पोहच ही जाती है मेरी कविताएं तुम्हारे पास फ़रमान लिए
मगर इतने इंतज़ार और फ़रमान के बाद भी तू कहा आती है,
खैर यही हमारी क़िस्मत में लिखा होगा शायद तभी तो
तू मुझे मिले ये बात ऊपर वाले को कहा राज़ आती है,,

©A P #alone
#मैं_और_तुम 
#तुम्हारी_बातें

#Journey
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