कोशिशें कर भी लूं पर हूं तुमसा नहीं चाहते फिर भी सब हैं तुम्हीं तक कहीं, ये नजर वो नजर मिल सके दो नजर इस कसर के सिवा कुछ ना आए नजर। इस सहर उस सहर हो सुबह दोपहर ढूंढ़ना ही नहीं कुछ कहीं अंश भी, है पता जो जहां आ मिले सब यहां है यही ख्वाब मेरा, यहीं तक दुआ।.. ©काबिल.. #Beauty #love #shayari #Poetry #78 #kaabil #Quotes #words #PoetryOnline #Story