उसकी आंखों में पढ़ा था मैंने वो जो कभी कह न पाई निगाहों से हर बार जताया कभी न जुबां तक लाई उसके दिल में ही दबे रह गए आंसू बनकर बह गए उसके वो जज़्बात बात कोई फिर हो न पाई फिर कभी वो नज़र न आई खामोशी से कहा बहुत कुछ मोहब्बत न लफ्जों में जताई उसकी आंखों में पढ़ा था मैंने वो जो कभी कह न पाई निगाहों से हर बार जताया कभी न जुबां तक लाई ©Prashant #Ankhon