"हाल-ए-दिल" उड़ते हुए परिंदों का कहीं ठिकाना तो होगा सुलग रहा है अंदर से मन तो बाहर धुंआ तो होगा वादा ही किया था इस तरह ,अब तक उस पर एतवार तो होगा खुली रही आंखें मरने पर ,शायद अभी तक उसका इंतजार तो होगा किस्मत ले आई परदेस में ,यह किस तरह का कामना होगा मेहमान बनकर अपने ही घर में,अब हमको किस्तों में जाना होगा हंस के टाल देता है पर, हाल-ऐ- दिल सुनाना तो होगा मन में जो है उसके लिए ,इशारों इशारों में बताना तो होगा वक्त पर वक्त की बाजी को जीतना जो होगा दांव पर अभी का सुखचैन लगेगा ,बच्चों को यह बताना तो होगा तालाब में सिक्के के दावेदार ,यहाँ हर एक तो होगा पर समुन्दर पे जो कूदेगा ,मोतियों का हकदार तो बस वही होगा ।। विकास ।। #darkness @vikas sharma