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मुझे आगोश में लेने की कोशिश न कर ग़म-ए-हसरत, मैं

मुझे आगोश में लेने की कोशिश न कर
 ग़म-ए-हसरत,
मैं वो गोल पत्थर हुं जिसने नदी के हर
 नखरें सहे हैं।



  ✍ घनश्याम शर्मा 'राधेय'

03/092019 Soumya Jain Ainee Jawed शुभम सिंह Kushagra Joshi Way With Words
मुझे आगोश में लेने की कोशिश न कर
 ग़म-ए-हसरत,
मैं वो गोल पत्थर हुं जिसने नदी के हर
 नखरें सहे हैं।



  ✍ घनश्याम शर्मा 'राधेय'

03/092019 Soumya Jain Ainee Jawed शुभम सिंह Kushagra Joshi Way With Words