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रेत सी जिंदगी है जितना समेटने की कोशिश करो,उतना



रेत सी जिंदगी है जितना समेटने की कोशिश करो,उतना ही अधिक फिसलती जा रही है।
बीतते वक्त के साथ जिंदगी का वजूद मिटाकर, जिंदगी में खलबली मचाती ही जा रही है।

हमने भी ठान रखी है अपनी जिंदगी को जमीन पर ही स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर बनायेंगें।
रेत सी है जिंदगी तो,रेत में प्रेम और विश्वास का सीमेंट मिलाकर इसको मजबूत बनाएंगे।

ख्वाहिशों की ईंटों से दीवारें बना प्रेम और विश्वास के सीमेंट से भरकर प्रेम से सजाएंगे।
कर्म के हौसलों की स्याही से दीवारों को रंगीन बनाकर जिंदगी हसीन व रंगीन बनाएंगे।

अपनों को दूर करती, कभी सपने भी तोड़ती फिर भी उम्मीद जगाये ही रखती है जिंदगी।
उलझनें ना देंगे फिसलने न देंगे जिंदगी को, अपनी जिंदगी अपनी मनमर्जी की बनायेंगें।

-"Ek Soch"
 प्रतियोगिता. 3 
विषय _ दिए गए बैकग्राउंड को आधार बनाकर एक रचना लिखिए 8 पंक्तियों में 

🌈 कोलैब करने के पश्चात कमेंट में Done लिखें ।

 🌈समयावधि_
 1 नवंबर रात 12:00 बजे तक


रेत सी जिंदगी है जितना समेटने की कोशिश करो,उतना ही अधिक फिसलती जा रही है।
बीतते वक्त के साथ जिंदगी का वजूद मिटाकर, जिंदगी में खलबली मचाती ही जा रही है।

हमने भी ठान रखी है अपनी जिंदगी को जमीन पर ही स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर बनायेंगें।
रेत सी है जिंदगी तो,रेत में प्रेम और विश्वास का सीमेंट मिलाकर इसको मजबूत बनाएंगे।

ख्वाहिशों की ईंटों से दीवारें बना प्रेम और विश्वास के सीमेंट से भरकर प्रेम से सजाएंगे।
कर्म के हौसलों की स्याही से दीवारों को रंगीन बनाकर जिंदगी हसीन व रंगीन बनाएंगे।

अपनों को दूर करती, कभी सपने भी तोड़ती फिर भी उम्मीद जगाये ही रखती है जिंदगी।
उलझनें ना देंगे फिसलने न देंगे जिंदगी को, अपनी जिंदगी अपनी मनमर्जी की बनायेंगें।

-"Ek Soch"
 प्रतियोगिता. 3 
विषय _ दिए गए बैकग्राउंड को आधार बनाकर एक रचना लिखिए 8 पंक्तियों में 

🌈 कोलैब करने के पश्चात कमेंट में Done लिखें ।

 🌈समयावधि_
 1 नवंबर रात 12:00 बजे तक