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बढ़ता हूँ चलता हूँ उठता हूँ गिरता हूँ, दुःखो के समं

बढ़ता हूँ चलता हूँ
उठता हूँ गिरता हूँ,
दुःखो के समंदर से रोज निकलता हुँ,
फिर भी उत्साह वही है उमंग वही है,
तभी तो मैं विजय पथ पर बढ़ाता हूँ,
 स्वप्नों के स्वप्नों सच करने को चलता हूँ।।
योगेश कुमार मिश्र"योगी" बढ़ना....
बढ़ता हूँ चलता हूँ
उठता हूँ गिरता हूँ,
दुःखो के समंदर से रोज निकलता हुँ,
फिर भी उत्साह वही है उमंग वही है,
तभी तो मैं विजय पथ पर बढ़ाता हूँ,
 स्वप्नों के स्वप्नों सच करने को चलता हूँ।।
योगेश कुमार मिश्र"योगी" बढ़ना....

बढ़ना....