कभी जो बरसती है बरखा तो हम भी रोकर अश्कों को छुपा लिया करते हैं। दिल में तन्हाई पलती है पर फिर भी लबों पर मुस्कान सजा लिया करते थे। जिंदगी में जिम्मेदारियांँ व फर्ज निभाने में कई ख्वाहिशें अधूरी ही रह गई हैं, हृदय की बंजर जमीन पर कल्पनाओं के फूल खिला खुश हो लिया करते हैं। प्रियतम तुम बिन जीवन मेरा पतझड़ के जैसा उजड़ा-उजड़ा सा लगता है, विरह के गीतों की तुरपाई से ही विरह के घावों को हम भर लिया करते हैं। एक दूसरे के दिल की धड़कन बनकर एक दूजे के दिल में ही हम रहते हैं। मिट जाएगी एक दिन सदियों की दूरी इसी आस में रोज जी लिया करते हैं। तुम बिन मुरझा गया है मेरे प्रेम का पुष्प, जानता हूंँ फिर से ना खिल पाएगा, तू है सांँसो में मन में जुगनू सा जलकर रातों में ख्वाबों में मिल लिया करते हैं। प्रेम के दीपों के संग गमों का समंदर दिल में लिए हम जीवन जिए जा रहे हैं, याद आते हो तुम पर आंँखों की नमी छुपाकर दिल ही दिल में रो लिया करते हैं। ♥️ Challenge-584 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।