तेरी वफ़ाओ का गुलाब छुपा रखा है। सीने में चाहतों का किताब छूपा रखा है।। तुम आओ न आओ ये मर्जी तुम्हारी, मैंने पलकों में कई हसी ख्वाब छुपा रखा है।। ©KaviRaj bhatapara #Books