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माना की तेरा अब हमसे न कोई राब्ता रहा, तुझे भूला द

माना की तेरा अब हमसे न कोई राब्ता रहा,
तुझे भूला देने के अलावा न‌ कोई रास्ता रहा।
हम ताउम्र सारे जहान की खुशियां तुझे समेटना को दी,
एक तू है जो हर आने-जाने वालों को मेरा हिस्सा भी बांटता रहा।
सुना है तेरे हाथों में है अब चूड़ियां किसी और के नाम की,
इक मेरा हाथ है जो तेरी मुट्ठी से फिसलकर ताउम्र को कांपता रहा।
               ‌     @_ankaha_
                  @shikhar

©shikhar Singh
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