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ख़ून में एक दरिया सी, बहती हुई रवानी थी, भूल सके ना

ख़ून में एक दरिया सी,
बहती हुई रवानी थी,
भूल सके ना दुनियां जिसको,
वो सुभाष की कहानी थी,

लहू मांग के जिसने,
आज़ादी की बात कही,
आज़ादी के परवाने की,
क्या रंगीन जवानी थी,

आज़ाद हिंद की फौज़ बनाई,
दुश्मन की शिक़स्त दिख़ानी थी,
इंक़लाब की लहरें भी,
फ़िर क्या दरिया तूफ़ानी थी,

देके प्राण मातृ भूमि को,
शहीदों में पहचान बनानी थी,
धरती से आसमाँ तलक़,
जिसके अस्तित्व की कहानी थी,

मिट्टी में मिल के भी,
माटी की आन बचानी थी,
ना मिट सकी जो ज़हनों से,
वो अनमोल निशानी थी,

सरबुलंदी से जीने की,
जिसने दिल में ठानी थी,
झुकी नहीं जो ज़ुल्मों से भी,
वो ऐसी पेशानी थी,

ख़ून में एक दरिया सी,
बहती हुई रवानी थी,
भूल सके ना दुनियां जिसको,
वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कहानी थी..!
Comp. By javed...✍🏻
शिक़स्त = हार, पराजय, Defeat.
पेशानी = माथा, Forehead.

©Md. Javed Saudagar #पराक्रमदिवस
ख़ून में एक दरिया सी,
बहती हुई रवानी थी,
भूल सके ना दुनियां जिसको,
वो सुभाष की कहानी थी,

लहू मांग के जिसने,
आज़ादी की बात कही,
आज़ादी के परवाने की,
क्या रंगीन जवानी थी,

आज़ाद हिंद की फौज़ बनाई,
दुश्मन की शिक़स्त दिख़ानी थी,
इंक़लाब की लहरें भी,
फ़िर क्या दरिया तूफ़ानी थी,

देके प्राण मातृ भूमि को,
शहीदों में पहचान बनानी थी,
धरती से आसमाँ तलक़,
जिसके अस्तित्व की कहानी थी,

मिट्टी में मिल के भी,
माटी की आन बचानी थी,
ना मिट सकी जो ज़हनों से,
वो अनमोल निशानी थी,

सरबुलंदी से जीने की,
जिसने दिल में ठानी थी,
झुकी नहीं जो ज़ुल्मों से भी,
वो ऐसी पेशानी थी,

ख़ून में एक दरिया सी,
बहती हुई रवानी थी,
भूल सके ना दुनियां जिसको,
वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कहानी थी..!
Comp. By javed...✍🏻
शिक़स्त = हार, पराजय, Defeat.
पेशानी = माथा, Forehead.

©Md. Javed Saudagar #पराक्रमदिवस