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तुम्हारे रुख़सत होने के बाद मैं हर्फ़ों के लंगड़े घोड़

तुम्हारे रुख़सत होने के बाद
मैं हर्फ़ों के लंगड़े घोड़े पर सवार हूँ
आहिस्ता-आहिस्ता 
अक्सर निकल जाता हूँ
अपनी ही जद से बाहर
फांद कर दीवारें तारों की
नाप लेता हूँ लम्बाई रातों की 
चाँद से दूरी और जज्बातों का व्यास 
लफ्जों के वर्नियर कैलिपर से!
दिन के पहरों को बनाकर आयत
टांक देता हूँ काली डोरी से
वक्त के गले में 
कि कुछ हवा लगती रहे नज्मों को..
सफर में किसी बियाबान में
कोई गजल मिले तो 
कुछ देर टेक ले लें दोनों
लंगड़ा घोड़ा और मैं
या कोई मिसरा ही मिल जाए
प्यास बुझा लें और आगे बढ़ें
किसी शेर की तलाश में..
पर लगता नहीं कुछ हाथ आएगा
बहुत भटक चुके हैं
दर्द है दोनों को थक चुके हैं
कजा नजदीक है शायद!
©KaushalAlmora





 #कजा 
#रोजकाडोजwithkaushalalmora 
#365days365quotes 
#yqdidi 
#नज्म 
#poetry 
#shayari 
#love
तुम्हारे रुख़सत होने के बाद
मैं हर्फ़ों के लंगड़े घोड़े पर सवार हूँ
आहिस्ता-आहिस्ता 
अक्सर निकल जाता हूँ
अपनी ही जद से बाहर
फांद कर दीवारें तारों की
नाप लेता हूँ लम्बाई रातों की 
चाँद से दूरी और जज्बातों का व्यास 
लफ्जों के वर्नियर कैलिपर से!
दिन के पहरों को बनाकर आयत
टांक देता हूँ काली डोरी से
वक्त के गले में 
कि कुछ हवा लगती रहे नज्मों को..
सफर में किसी बियाबान में
कोई गजल मिले तो 
कुछ देर टेक ले लें दोनों
लंगड़ा घोड़ा और मैं
या कोई मिसरा ही मिल जाए
प्यास बुझा लें और आगे बढ़ें
किसी शेर की तलाश में..
पर लगता नहीं कुछ हाथ आएगा
बहुत भटक चुके हैं
दर्द है दोनों को थक चुके हैं
कजा नजदीक है शायद!
©KaushalAlmora





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kaushaljoshi2249

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